ससुर और बहू की मजेदार कहानी

ससुर और बहू की मजेदार कहानी





दोस्तो ये कहानी और संसार के बीच एक अनोखे रिश्ते की कहानी है। कहानी बहुत दिलचस्प है।  ये कहानी शुरू होती है सुरेंद्र नाम के लड़के से। सुरेंद्र एक पढ़ा लिखा नौजवान लड़का है। सुरेंद्र के परिवार में उसका पिता राममोहन उसकी माता वंदना और बहन पूजा रहती है। वह एक छोटे से गांव में रहते हैं लेकिन सुरेंद्र बाहर शहर में काम करता था। इसलिए वह महीने बाद एक दिन अपने गांव में अपने परिवार से मिलने आ जाता था।

सुरेंद्र शादी की उम्र हो चुकी थी इसलिए घरवालों ने सुरेंद्र की शादी मोहनी नाम की लड़की से करवा दी। मोनी एक बहुत ही सुंदर और पढ़ी लिखी लड़की थी। के नाम की तरह मोहिनी अपने सुंदर रंगरूप से सबका मन मोह लेती थी। सुरेंद्र अब दस दिनों के लिए घर आया था। घर में 10 दिन बिताने के बाद वापस काम के लिए शहर जाने वाला था। शहर जाने से पहले मोहिनी सुरेंद्र को कहती कि मीरा यहां अकेले मन नहीं लगेगा। आप मुझे अपने साथ ले जाएं।

सुरेंद्र कहता कि हां मैं ले जाऊंगा पर अभी नहीं। कुछ महीनों बाद मैं घर बुला लूंगा। अभी तुम यहां रहकर सेवा करो। सुरेंद्र से मोनिका मन दुखी हो गया लेकिन मैं कर सकती थी अब घर में छोटी बहन लगती छोटी बहन पूजा हमेशा ही मोनी भाभी को कहती कि भाभी आप बहुत सुंदर हो मुझे भी बताओ आप अपने चेहरे पर क्या लगाती हो आप दिनों दिन सुंदर होती जा रही हो तो भाभी हंसने लगी और कहती कि पूजा तुम भी बहुत सुंदर हो। मैं अपने चेहरे पर कुछ लगाने की ज़रूरत नहीं है। तुम ऐसे ही बहुत अच्छी और सुंदर दिखती हो

। मोहन की सास दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही थीं क्योंकि उन्हें दिल की बीमारी थी। ऐसे ही एक दिन जब मोहिनी रसोईघर में खाना बना रही थी तब सास चीखने की आवाज आई और घरवाले वंदना को देखने के लिए आ जाते हैं तब उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब हो जाती है। वंदना को पास के हॉस्पिटल में ले जाते हैं लेकिन वंदना की हालत ज्यादा खराब हो गई। बहुत मुश्किल था। ठीक ऐसे ही हाल उसकी मृत्यु हो गई। सभी घरवाले बहुत दुखी होते हैं। सुरेंद्र घर आ जाता है और मां का अंतिम संस्कार वापस आ जाता है। घर में मोहन और उसकी छोटी ननद पूजा रहती थीं। ऐसे ही समय बीतता गया।

पूजा शादी करने। एक दिन ससुराल आने को कह रहे थे कि मोहिनी अगर तुम्हारे नजर में कोई अच्छा लगता है तो हमें बताना तुम्हारे नाम हमारे गांव में एक लड़का जिसका नाम राजू है मैं बहुत ज्यादा पढ़ा लिखा है और सरकारी नौकरी भी करता है आप कहें तो आगे बढ़ा। तब क्यों नहीं अगर लड़का चाहो तो हमें उसकी शादी से कोई ऐतराज नहीं। मोहनी राजू के घरवालों से बात करती और राजू के घरवाले मान जाते और ऐसे ही राजू और मोनिका की शादी हो जाती। पूजा भी अपने घरों से दूर रहने लगी। अब घर में मोहिनी और सुरेंद्र हर महीने दो चार दिन घर आता था। मोहिनी घर में अकेली होती बसावन घर का काम सेवा करती। छोटी छोटी बात पर बहू को बहुत डांटता तो मैं कल ही नहीं होगी। तुमने हमारे लिए बनाया था लेकिन फिर भी छोटी छोटी बहन परेशान को फोन करती और कहती हैं कि हम रहूंगी याद तो पहले अपने घर चले जाओ इस घर में

नहीं होगी तब कहता मैं यहां नहीं बुला सकता। खुद के घर आकर कहां रखूंगा। घर में काम करती हूं उनका जो मन बनाती उनको तुरंत मना कर देती हूं। लेकिन अगर मेरे से कुछ गलती हो जाती है तो मुझे डालते हैं। मेरे से ये नहीं कहा जाता तब सुरेंद्र कहता है कि तुम जैसे तैसे एक महीना निकालो निकालता हूं। एक दिन ससुराल जानबूझकर बहू को पानी से निकली बात जब उन्होंने बचपन से पानी भरकर लाना पड़ता बिना मुंह के छाले पड़ जाते हैं तो बाद में पता चला कि उसकी चप्पल छुपाई थी। एसओजी की इस हरकत को बर्दाश्त नहीं कर सकती इसलिए वह जाकर एसओजी के सामने खड़ी हो जाती है कहती बस बहुत हो गया अब नहीं।

मैं बहुत दिनों से देख रही हूं जबसे पूजा की शादी हुई है उस दिन छोटी छोटी बातों पर काम करने लगे। अगर मेरे साथ समय पर खाना नहीं बंद तो आप मुझे बहुत डांटते हो। माना कि आप बड़े हो मुझे डांट भी सकते हो लेकिन छोटी छोटी बातों पर डांटना आपको शोभा नहीं देता। आज तो आपने हद ही कर दी। मेरी शादी अपने आपको बिल्कुल भी शर्म नहीं आती। ऐसी हरकत करते हुए फिर मैंने फ्रेंड्स को फोन लगाते ही ये सारी बातें बता दी। तब तक सभी लोग इकट्ठा हो जाते। पूजा अपने पिता को समझाती।

पिताजी आपको इतना क्यों तंग करते हो तो आपकी बेटी की तरह। अगर मेरे ससुराल में मुझे कोई ऐसी तंग करे तो आपको अच्छा लगेगा। आप खुद सोचिए तब रामू कहते है कि बेटा मैं जानबूझकर तंग नहीं करता। पता नहीं क्यों जब से तुम्हारी मां दुनिया से चली गई है तबसे सारा दिन उसी के बारे में सोचता रहता

हूं। कोई भी दिक्कत जब बहुत ज्यादा गुस्सा आता तो उदास नहीं होती। इसलिए मैं भी डांटा था। मुझे अब अपनी गलती का एहसास हो गया। बहुत सारा दिन घर का काम करती कोई भी शिकायत नहीं करती। हर वक्त हमारी सेवा करती और बदले में हम उसको आज के बाद बहू को राम अगर हो सके तो बहुओं को अपने साथ शहर ले जाएं। हम यहां बहुत अकेले हैं। हमारा यहां अकेले मन नहीं लगता और जल्दी से जल्दी हमें अपने साथ शहर पर ले जाओ। बहुत उदास रहती हैं।

तब फ्रेंड्स कहता है कि पिताजी मैं आप दोनों को अकेले नहीं रहने दूंगा। शहर में मैंने एक कमरा दे रखा है। वहां हम सब ठीक से रह सकेंगे। बेटा मैंने जो तुम्हारे साथ बहुत गलत किया। मैं इसके लिए शर्मिंदा हूं मुझे माफ कर दो। मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया। मैं आगे से कभी भी नहीं। तुम्हारा जो मन करे क्या मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे पता है कि तुम्हारे दिल में क्या बीत रही होगी। हो सके तो मुझे माफ कर देना।


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